बददी, 31 मई। सुरेंद्र शर्मा की रिपोर्ट
विधानसभा चुनावों में तो हिमाचली औद्योगिक कर्मचारियों का लाने ले जाने के लिए न तो प्रदेश सरकार ने कोई इंतजाम किया न उद्योगों ने राजनीतिक दलों ने। हिमाचली कर्मचारी अपने गृह जिले चंबा, कुल्लू, कांगडा आदि जिलों में वोट डालने जाना चाहते थे लेकिन उनको फैक्ट्री से ही छुटटी आज दोपहर को मिली। कुल चुनाव आयोग ने आधिकारिक छुटटी घोषित कर रखी है लेकिन औद्योगिक कर्मचारी घर कैसे पहुंचे इसकी फिक्र किसी को नहीं थी। नालागढ़ परिवहन निगम ने अपने बहुत से रुट इसलिए रदद कर दिए क्योंकि 40 बसें चुनाव आयोग ने ले ली थी। हैरानी की बात तो यह है कि चुनाव आयोग ने ज्यादा से ज्यादा मतदान का आग्रह किया लेकिन बददी नालागढ बरोटीवाला के औद्योगिक कर्मचारियों को राम भरोसे छोड दिया गया। विधायक के चुनाव में तो पार्टियों के नेता हर विस क्षेत्र से अपने कर्मचारियों को लेने के लिए बसें भेज देत हैं लेकिन सांसद के चुनाव में अधिकांश ने हाथ पीछे खींच लिए। बहुत से कर्मचारी अपने खर्च पर पांच साल बाद अपने गांव जाने को आतुर रहते हैं लेकिन उनको निराशा हाथ लगी जब बददी बस स्टैंड पर लंबे रुट की गायब मिले। चंबा के कर्मचारी पवन कुमार, बिलासपुर के केडी शर्मा ने कहा कि हर बार औद्योगिक कर्मचारियों की इस लोकतंत्र के पर्व में उपेक्षा होती है। एक दिन की बजाय हमें दो छुटिटयां होनी चाहिए क्योंकि एक दिन तो सुबह से शाम सफर में बीत जाता है। उद्योग छुटटी नहीं देते इस पर काम होना चाहिए।
सरकार सुविधा दे वरना बैल्ट पेपर का हो प्रावधान-जमवाल
इस विषय में हिमाचल कल्याण सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलवीर जमवाल, महासचिव कालिदास शर्मा व उपाध्यक्ष सुषमा ठाकुर ने कहा कि अगर सरकार व चुनाव आयोग व परिवहन निगम कर्मचारियों के आने जाने की व्यवस्था नहीं कर सकता तो उनको बददी में घर बैठे ही बैल्ट पेपर से मतदान करने का प्रावधान होना चाहिए। अब युग बदल गया तो सरकार व आयोग को भी नए सिरे से सोचना चाहिए।
एक की बजाय दो छुटटी करे उद्योग जगत-अशोक राणा
वहीं इस विषय में लघु उद्योग संघ के प्रदेशाध्यक्ष अशोक राणा, महामंत्री अनिल मलिक, कोषाध्यक्ष वसुंधरा अग्रवाल ने कहा कि एक दिन में कोई भी अपने गांव में वोट डालकर वापिस नहीं आ सकता। एक दिन का अवकाश आने जाने में तो दूसरा वोट डालने को होना चाहिए। उद्योगों को हाफ डे पर कर्मचारियों को छुटटी देनी चाहिए ताकि कांगडा चंबा लाहौल वाले समय पर निकल सके।